योगेन भी हमारे देश के हज़ारों पढ़े लिखे नवयुवकों की तरह बेकारी की भयंकर बीमारी का शिकार हो गया। एक तो वह बेकार, दूसरे उसकी प्यारी माँ सख्त बीमार। माँ के प्राण बचाने के लिए जेब में एक भी पैसा नहीं। मजबूरन वह एक मारवाड़ी से सिर्फ़ 50 रूपये छीन लेता है। इस छीना-झपटी में मारवाड़ी एक मोटर से कुचल कर मर जाता है। योगेन ज्योंही अपनी माँ को दवाई के लिए 50 रू. देकर लौटता है, त्योंही पुलिस उसे गिरफ्तार कर लेती है और खून तथा चोरी के अपराध में ईनामदार लुटेरे योगेन को बीस साल की सख्त सजा होती है।
बीमार माँ की ममता से प्रेरित होकर एक दिन योगेन जेल की चहार दीवारी फाँदकर भाग निकलता है और संयोग से साधना की खड़ी हुई मोटर में छिप जाता है।
साधना योगेन की रक्षा करती है और उसे अपने घर में संगीत-शिक्षक मास्टर हरीश बनाकर आश्रय देती है।
ईश्वर की लीला देखिए कि जिन पूज्य पिताजी ने पब्लिक प्राॅसीक्यूटर की हैसियत से, भरी अदालत में गला फाड़-फाड़ कर योगेन को खूनी, लुटेरा उचक्का साबित करके बीस वर्ष की सज़ा दिलवाई थी आज उन्हीं की बेटी साधना, योगेन को न केवल अपने घर में बसाती है बल्कि धीरे-धीरे दिल के घर में भी बसाने लगी।
साधना की माँ तो योगेन के गुणों पर मुग्ध हो गई और उसने निश्चय किया कि साधना के लिए योगेन (मास्टर हरीश) से बढ़कर और कोई वर नहीं मिल सकता। परन्तु साधना के पिताजी को अपने ओहदे, खान्दान, अमीरी की शान और झूठी इज़्जत का बड़ा ख्याल था, इसलिए वह तय कर लेते है कि साधना की शादी ख़ब्ती बैरिस्टर मिस्टर रसिकलाल से कर दी जाए।
एक दिन साधना, योगेन को लेकर पिताजी के डर घर छोड़कर चली जाती हैं। बदनामी के डर से साधना के पिता छान-बीन करके तथा झूठा आश्वासन देकर साधना को घर बुलवा लेते हैं। घर पहुँचने के बाद साधना देखती है कि पिताजी ने एकदम अपना रंग पलट दिया। बड़ी सख्ती से साधना को धमकाते हैं, पिस्तौल लेकर अपनी तथा साधना की माँ की खोपड़ी उड़ा देने का डर दिखाते हैं। साधना को वह इस बात पर मजबूर करते हैं कि वह मास्टर हरीश (योगेन) के सामने नफरत से भरा नाटक करे ताकि योगेन नाटक को सत्य समझकर शहर छोड़कर चला जाए। वह योगेन को पाँच हज़ार रूपये का लालच देते हैं। योगेन ने जब साधना का बदला हुआ रूख़ देखा तो वह जैसे पागल सा हो गया। वह उन पाँच हजार के नोटों में आग लगा देता है।
साधना की आँखें खुल जाती हैं। उसने निश्चय किया कि चाहे जो हो अब वह जीवन भर योगेन का साथ न छोड़ेगी।
पिताजी अपना उग्र रूप फिर देखाते हैं और कहते हैं कि यह मास्टर हरीश खूनी, चोर फ़रार कैदी योगेन है जिसे बीस साल की सजा हुई थी-परन्तु साधना का सच्चा प्रेम उस मंजिल पर पहुँच गया था जहाँ से संसार की कोई भी शक्ति प्रेमी को पीछे नहीं हटा सकती।
इधर साधना फिर घर छोड़कर चल देती है उधर साधना के पिता टेलीफ़ोन द्वारा पुलिस को खबर कर देते हैं और साधना महान वेदना और पश्चाताप भरी आँखों से देखती हैं कि उसका जीवन सर्वस्व योगेन गिरफ्तार होकर चला जा रहा हैं। साधना की दुनिया लुट गई।
अदालत के कठघरे में फ़रारी योगेन खड़ा हुआ हैं, चारों तरफ से निराश होकर - अब क्या होगा? इस कहानी का क्लायमेक्स (Climax) देखते ही बनेगा। आपको महान आश्चर्य होगा जबकि... बस परदे पर देखिए।
(From the official press booklet)